Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_2eb4814b70c2a4df6d1fd5c16cea52b3, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मगर मेरी आँखों में - अनवर मक़सूद ज़ाहिदी कविता - Darsaal

मगर मेरी आँखों में

मेंह बरसता है

आँगन में बूंदों की रिम-झिम में

चिड़ियाँ चहकती हुई चार-सू

घूमती हैं

छतों पर घने काले बादल

बने देवता झूमते हैं

सुतूनों से लिपटी हुई

सुर्ख़ फूलों की बेलें

बरसते हुए मेंह की बौछार में

अपना जोबन निखारे

मचलती हैं

आँगन में खुलते हुए ख़ाली कमरे

अँधेरे की बकल में सिमटे हुए

गुज़रे वक़्तों की मदिरा पिए

ऊँघते हैं

ख़मोशी

घने बादलों का अंधेरा

हवा के तड़पते हुए सर्द झोंकों में

बूंदों की रिम-झिम

ये लगता है

सदियों से ठहरा हुआ वक़्त

मौसम के नशे में बे-ख़ुद हुआ है

मगर मेरी आँखों में

सावन की गुज़री हुई रुत के लम्हे

जली घास की पत्तियाँ बन के चुभते हैं

(792) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Magar Meri Aankhon Mein In Hindi By Famous Poet Anwar Maqsood Zahidi. Magar Meri Aankhon Mein is written by Anwar Maqsood Zahidi. Complete Poem Magar Meri Aankhon Mein in Hindi by Anwar Maqsood Zahidi. Download free Magar Meri Aankhon Mein Poem for Youth in PDF. Magar Meri Aankhon Mein is a Poem on Inspiration for young students. Share Magar Meri Aankhon Mein with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.