दूसरे सायरन से पहले
अंधेरा है
अभी तुम अपने होंटों को
यूँही मेरे लबों से मुत्तसिल रखो
अभी उस वक़्त तक थामे रहो
मेरे बदन को अपनी बाँहों से
कि जब तक
इक धमाके से फटे
आतिश-फ़िशाँ जिस्मों का
और कितने ही क़रनों की छुपी हिद्दत
बहे लावे की सूरत में
कि जब तक
सायरन की चीख़ती मकरूह मौसीक़ी
फ़ज़ा को फाड़ दे और जगमगाएँ बिजलियाँ हर सू
(644) Peoples Rate This