आग

सुलगते हुए

मीठे जज़्बात

की आग से जिस्म

कुछ इस तरह तप रहा है

कि जी चाहता है नज़र जो भी आए

उसे अपनी बाँहों में कुछ ऐसे भेंचू

कि मेरे बदन में समा जाए वो यूँ

नज़र तक न आए

हटाऊँ जो बाँहें

मैं इस के गले से

तो ढेर एक मिट्टी का

क़दमों में पाऊँ

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Aag In Hindi By Famous Poet Anwar Maqsood Zahidi. Aag is written by Anwar Maqsood Zahidi. Complete Poem Aag in Hindi by Anwar Maqsood Zahidi. Download free Aag Poem for Youth in PDF. Aag is a Poem on Inspiration for young students. Share Aag with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.