रद्द-ए-अमल
दूर जंगल के घने पेड़ों पर
शाम के सुरमई अँधेरे में
जब भी पंछी पलट के आते हैं
मेरा तन्हा उदास व्याकुल मन
ग़म के साए में डूब जाता है
(717) Peoples Rate This
दूर जंगल के घने पेड़ों पर
शाम के सुरमई अँधेरे में
जब भी पंछी पलट के आते हैं
मेरा तन्हा उदास व्याकुल मन
ग़म के साए में डूब जाता है
(717) Peoples Rate This