Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_ba2bb3cbccf809cb42075503affe3950, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ज़ुल्फ़ को अब्र का टुकड़ा नहीं लिख्खा मैं ने - अनवर जलालपुरी कविता - Darsaal

ज़ुल्फ़ को अब्र का टुकड़ा नहीं लिख्खा मैं ने

ज़ुल्फ़ को अब्र का टुकड़ा नहीं लिख्खा मैं ने

आज तक कोई क़सीदा नहीं लिख्खा मैं ने

जब मुख़ातब किया क़ातिल को तो क़ातिल लिख्खा

लखनवी बन के मसीहा नहीं लिख्खा मैं ने

मैं ने लिख्खा है उसे मर्यम ओ सीता की तरह

जिस्म को उस के अजंता नहीं लिख्खा मैं ने

कभी नक़्क़ाश बताया कभी मेमार कहा

दस्त-फ़नकार को कासा नहीं लिख्खा मैं ने

तू मिरे पास था या तेरी पुरानी यादें

कोई इक शेर भी तन्हा नहीं लिख्खा मैं ने

नींद टूटी कि ये ज़ालिम मुझे मिल जाती है

ज़िंदगी को कभी सपना नहीं लिख्खा मैं ने

मेरा हर शेर हक़ीक़त की है ज़िंदा तस्वीर

अपने अशआर में क़िस्सा नहीं लिख्खा मैं ने

(1196) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Zulf Ko Abr Ka TukDa Nahin Likhkha Maine In Hindi By Famous Poet Anwar Jalalpuri. Zulf Ko Abr Ka TukDa Nahin Likhkha Maine is written by Anwar Jalalpuri. Complete Poem Zulf Ko Abr Ka TukDa Nahin Likhkha Maine in Hindi by Anwar Jalalpuri. Download free Zulf Ko Abr Ka TukDa Nahin Likhkha Maine Poem for Youth in PDF. Zulf Ko Abr Ka TukDa Nahin Likhkha Maine is a Poem on Inspiration for young students. Share Zulf Ko Abr Ka TukDa Nahin Likhkha Maine with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.