Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_f250b02564736f43ce9faa07c354527f, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
क़याम-गाह न कोई न कोई घर मेरा - अनवर जलालपुरी कविता - Darsaal

क़याम-गाह न कोई न कोई घर मेरा

क़याम-गाह न कोई न कोई घर मेरा

अज़ल से ता-ब-अबद सिर्फ़ इक सफ़र मेरा

ख़िराज मुझ को दिया आने वाली सदियों ने

बुलंद नेज़े पे जब ही हुआ है सर मेरा

अता हुई है मुझे दिन के साथ शब भी मगर

चराग़ शब में जिला देता है हुनर मेरा

सभी के अपने मसाइल सभी की अपनी अना

पुकारूँ किस को जो दे साथ उम्र भर मेरा

मैं ग़म को खेल समझता रहा हूँ बचपन से

भरम ये आज भी रख लेना चश्म-ए-तर मेरा

मिरे ख़ुदा मैं तिरी राह जिस घड़ी छोड़ूँ

उसी घड़ी से मुक़द्दर हो दर-ब-दर मेरा

(1143) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Qayam-gah Na Koi Na Koi Ghar Mera In Hindi By Famous Poet Anwar Jalalpuri. Qayam-gah Na Koi Na Koi Ghar Mera is written by Anwar Jalalpuri. Complete Poem Qayam-gah Na Koi Na Koi Ghar Mera in Hindi by Anwar Jalalpuri. Download free Qayam-gah Na Koi Na Koi Ghar Mera Poem for Youth in PDF. Qayam-gah Na Koi Na Koi Ghar Mera is a Poem on Inspiration for young students. Share Qayam-gah Na Koi Na Koi Ghar Mera with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.