अनवर देहलवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अनवर देहलवी
नाम | अनवर देहलवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Anwar Dehlvi |
जन्म की तारीख | 1847 |
मौत की तिथि | 1885 |
वो जो गर्दन झुकाए बैठे हैं
उन से हम लौ लगाए बैठे हैं
थक के बैठे हो दर-ए-सौम'अ पर क्या 'अनवर'
सूरत छुपाइए किसी सूरत-परस्त से
शर्म भी इक तरह की चोरी है
क़ामत ही लिखा हम ने सदा जा-ए-क़यामत
पी भी जा शैख़ कि साक़ी की इनायत है शराब
फेंकिए क्यूँ मय-ए-नाक़िस साक़ी
नींद का काम गरचे आना है
नज़र आए क्या मुझ से फ़ानी की सूरत
नाकामी-ए-विसाल का पैग़ाम है मुझे
न मैं समझा न आप आए कहीं से
मिट्टी ख़राब है तिरे कूचे में वर्ना हम
मिट्टी ख़राब है तिरे कूचे में वर्ना हम
मिरी नुमूद से पैदा है रंग-ए-नाकामी
मैं गिरफ़्तार-ए-वफ़ा हूँ छुट के जाऊँगा कहाँ
कुछ ख़बर होती तो मैं अपनी ख़बर क्यूँ रखता
किस सोच में हैं आइने को आप देख कर
कमर बाँधी है तौबा तोड़ने पर
कैसी हया कहाँ की वफ़ा पास-ए-ख़ल्क़ क्या
कैसी हया कहाँ की वफ़ा पास-ए-ख़ल्क़ क्या
हश्र को मानता हूँ बे-देखे
हर शय को इंतिहा है यक़ीं है कि वस्ल हो
गोया कि सब ग़लत हैं मिरी बद-गुमानियाँ
गरचे क्या कुछ थे मगर आप को कुछ भी न गिना
बे-तरह पड़ती है नज़र उन की
'अनवर' ने बदले जान के ली जिंस-ए-दर्द-ए-दिल
अल्लाह-रे फ़र्त-ए-शौक़-ए-असीरी के शौक़ में
यूसुफ़-ए-हुस्न का हुस्न आप ख़रीदार रहा
उन से हम लौ लगाए बैठे हैं