Ghazals of Anvar Moazzam
नाम | अनवर मोअज़्ज़म |
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अंग्रेज़ी नाम | Anvar Moazzam |
ज़ख़्म-ए-नज़ारा ख़ून-ए-नज़र देखते रहो
ये क़िस्सा-ए-ग़म-ए-दिल है तो बाँकपन से चले
ये ग़ज़ल की अंजुमन है ज़रा एहतिमाम कर लो
जब मिरी ज़ीस्त के उनवाँ नए मतलूब हुए
हमें भूला नहीं अफ़्साना दिल का
ग़म-ए-हबीब ग़म-ए-दो-जहाँ नहीं होता
डूबते तारों से पूछो न क़मर से पूछो
दीदा-ए-तर ने अजब जल्वागरी देखी है
आओ देखें अहल-ए-वफ़ा की होती है तौक़ीर कहाँ
आज कुछ यूँ शब-ए-तन्हाई का अफ़्साना चले