पानी की आवाज़
हर रात नीम ग़ुनूदगी में
मेरे कानों में
बारिश की आवाज़ आती रहती है
मैं चौंक उठता हूँ
खिड़की से पर्दा सरकाते हुए बाहर झाँकता हूँ!
दिन चढ़े की धूप मुझ पर तंज़ करती है
मैं जल्दी से...
वाशरूम में देखता हूँ
शायद रात कोई नल खुला रह गया हो
तब ज़ोर ज़ोर से
तंहाई मुझ पर हँसने लगती है
मैं ख़जालत ओढ़ कर
अपने भीगे हुए बिस्तर पर करवट बदल कर
फिर से ऊँघने लगता हूँ
पानी की आवाज़
टप टप टप... मेरे विज्दान में
गिरती रहती है!
(1012) Peoples Rate This