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काश - अंजुम सलीमी कविता - Darsaal

काश

तुम्हारे चेहरे पर

सिर्फ़ दो आँखें मेरी आश्ना हैं

जो मुझ से हम-कलाम रहती हैं

मैं तुम्हें अपनी तमाम हिस्सियात की यकसूई से मिला हूँ

तुम्हारा जिस्म मेरी पोरों के लिए अजनबी सही

लेकिन फिर भी

तुम्हारी ख़ुश्बू में लिपटा हुआ तुम्हारा लम्स

मुझे बासी नहीं होने देता

कनखियों से देखते हुए सोचता हूँ

तुम्हें जी भर कर देखने से भी

आँखें भूकी रह जाती हैं!

ऐ मेरे बे-बहा!

काश मैं हर सम्त से

हज़ार आँखों से तुम्हें देखता

लाखों मसामों से तुम्हारे लम्स चुनता

और तुम्हारे दोनों होंटों को

अपने पूरे बदन से चूम सकता!

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Kash In Hindi By Famous Poet Anjum Saleemi. Kash is written by Anjum Saleemi. Complete Poem Kash in Hindi by Anjum Saleemi. Download free Kash Poem for Youth in PDF. Kash is a Poem on Inspiration for young students. Share Kash with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.