Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_fb0d450780815ad744cb440d62e81a1a, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
फ़लक-नज़ाद सही सर-निगूँ ज़मीं पे था मैं - अंजुम सलीमी कविता - Darsaal

फ़लक-नज़ाद सही सर-निगूँ ज़मीं पे था मैं

फ़लक-नज़ाद सही सर-निगूँ ज़मीं पे था मैं

जबीन ख़ाक पे थी और मिरी जबीं पे था मैं

गुँधी पड़ी थी मिरी ख़ाक ख़ाल-ओ-ख़द के बग़ैर

अभी हुमकता हुआ चाक-ए-अव्वलीं पे था मैं

ये तब की बात है जब कुन नहीं कहा गया था

कहीं कहीं पे ख़ुदा था कहीं कहीं पे था मैं

नया नया मैं निकाला हुआ था जन्नत से

ज़मीं बनाई गई जिन दिनों यहीं पे था मैं

ख़ुदा का हुक्म बजा बद-गुमानी अपनी जगह

ग़लत न था मिरा इंकार इस यक़ीं पे था मैं

ख़ुदा के झगड़े में आख़िर दिमाग़ हार गया

कि दिल सबात में था और नहीं नहीं पे था मैं

(814) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Falak-nazhad Sahi Sar-nigun Zamin Pe Tha Main In Hindi By Famous Poet Anjum Saleemi. Falak-nazhad Sahi Sar-nigun Zamin Pe Tha Main is written by Anjum Saleemi. Complete Poem Falak-nazhad Sahi Sar-nigun Zamin Pe Tha Main in Hindi by Anjum Saleemi. Download free Falak-nazhad Sahi Sar-nigun Zamin Pe Tha Main Poem for Youth in PDF. Falak-nazhad Sahi Sar-nigun Zamin Pe Tha Main is a Poem on Inspiration for young students. Share Falak-nazhad Sahi Sar-nigun Zamin Pe Tha Main with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.