देते नहीं सुझाई जो दुनिया के ख़त्त-ओ-ख़ाल
आए हैं तीरगी में मगर रौशनी से हम
Anwar Masood
Javed Akhtar
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Jaun Eliya
Gulzar
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(810) Peoples Rate This
आएगी हम को रास न यक-रंगी-ए-ख़ला
दुखी दिलों के लिए ताज़ियाना रखता है
कुछ अजनबी से लोग थे कुछ अजनबी से हम
मौसम का आह-ओ-नाला से अंदाज़ा कीजिए
क़लंदरी है कि रखता है दिल ग़नी 'अंजुम'
है जो तासीर सी फ़ुग़ाँ में अभी
किस की जबीं पे हैं ये सितारे अरक़ अरक़
ये जितने मसअले हैं मश्ग़ले हैं सब फ़राग़त के
है वाक़िआ कुछ और रिवायत कुछ और है
गुज़र रहे हैं गुज़रने वाले
हर चंद उन्हें अहद फ़रामोश न होगा
हम से बात में पेच न डाल