Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_063f8a548cc9d9bd606caf34ebb78ae0, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
घर में मिट्टी का दिया मौजूद है - अंजुम ख़याली कविता - Darsaal

घर में मिट्टी का दिया मौजूद है

घर में मिट्टी का दिया मौजूद है

रौशनी से राब्ता मौजूद है

चाहिए बीनाई सुनने के लिए

बाज़ रंगों में सदा मौजूद है

कब से उड़ता है ग़ुबारा अर्ज़ का

इस में अब कितनी हवा मौजूद है

गो बहुत महदूद है जिंस-ए-वफ़ा

फिर भी मेरे बेवफ़ा! मौजूद है

उम्र भर जंगल में रह सकता हूँ मैं

इस में घर जैसी फ़ज़ा मौजूद है

ज़िक्र-ए-गुमराही कहाँ से आ गया

रास्ता ही कौन सा मौजूद है

ना-ख़ुदा बे-ख़ौफ़ अब लंगर उठा

नाव में इक बा-ख़ुदा मौजूद है

(838) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ghar Mein MiTTi Ka Diya Maujud Hai In Hindi By Famous Poet Anjum Khayali. Ghar Mein MiTTi Ka Diya Maujud Hai is written by Anjum Khayali. Complete Poem Ghar Mein MiTTi Ka Diya Maujud Hai in Hindi by Anjum Khayali. Download free Ghar Mein MiTTi Ka Diya Maujud Hai Poem for Youth in PDF. Ghar Mein MiTTi Ka Diya Maujud Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Ghar Mein MiTTi Ka Diya Maujud Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.