अंजुम ख़याली कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अंजुम ख़याली
नाम | अंजुम ख़याली |
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अंग्रेज़ी नाम | Anjum Khayali |
जन्म की तारीख | 1936 |
मौत की तिथि | 1997 |
जन्म स्थान | England |
शब को इक बार खुल के रोता हूँ
मुझे कुछ देर रुकना चाहिए था
मुझे हँसी भी मिरे हाल पर नहीं आती
मिरे मज़ार पे आ कर दिए जलाएगा
कुछ तसावीर बोल पड़ती हैं
कोई तोहमत हो मिरे नाम चली आती है
कहाँ मिला मैं तुझे ये सवाल ब'अद का है
जाँ क़र्ज़ है सो उतारते हैं
इस नाम का कोई भी नहीं है
बाज़ वादे किए नहीं जाते
अज़ाँ पे क़ैद नहीं बंदिश-ए-नमाज़ नहीं
अँधेरी रात है साया तो हो नहीं सकता
आँख झपकीं तो इतने अर्से में
शब-ए-फ़िराक़ अचानक ख़याल आया मुझे
शब को इक बार खुल के रोता हूँ
मिरे मज़ार पे आ कर दिए जलाएगा
कोई तोहमत हो मिरे नाम चली आती है
जान से कैसे जाया जाता है
जाँ क़र्ज़ है सो उतारते हैं
हँसी में टाल तो देता हूँ अक्सर
घर में मिट्टी का दिया मौजूद है
ऐ शब-ए-ग़म जो हम भी घर जाएँ
आज़ार मिरे दिल का दिल-आज़ार न हो जाए