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कहाँ तक और इस दुनिया से डरते ही चले जाना - अंजुम ख़लीक़ कविता - Darsaal

कहाँ तक और इस दुनिया से डरते ही चले जाना

कहाँ तक और इस दुनिया से डरते ही चले जाना

बस अब हम से नहीं होता मुकरते ही चले जाना

मैं अब तो शहर में इस बात से पहचाना जाता हूँ

तुम्हारा ज़िक्र करना और करते ही चले जाना

यहाँ आँसू ही आँसू हैं कहाँ तक अश्क पोंछोगे

तुम उस बस्ती से गुज़रो तो गुज़रते ही चले जाना

मिरी ख़ातिर से ये इक ज़ख़्म जो मिट्टी ने खाया है

ज़रा कुछ और ठहरो इस के भरते ही चले जाना

वफ़ा-ना-आश्ना लोगों से मिलना भी अज़िय्यत है

हुए ऐसे तो इस दिल से उतरते ही चले जाना

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Kahan Tak Aur Is Duniya Se Darte Hi Chale Jaana In Hindi By Famous Poet Anjum Khaleeq. Kahan Tak Aur Is Duniya Se Darte Hi Chale Jaana is written by Anjum Khaleeq. Complete Poem Kahan Tak Aur Is Duniya Se Darte Hi Chale Jaana in Hindi by Anjum Khaleeq. Download free Kahan Tak Aur Is Duniya Se Darte Hi Chale Jaana Poem for Youth in PDF. Kahan Tak Aur Is Duniya Se Darte Hi Chale Jaana is a Poem on Inspiration for young students. Share Kahan Tak Aur Is Duniya Se Darte Hi Chale Jaana with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.