ये रात ढलते ढलते रख गई जवाब के लिए

ये रात ढलते ढलते रख गई जवाब के लिए

कि तेरी आँखें जागती हैं किस के ख़्वाब के लिए

किताब दिल पे लिखने की इजाज़त उस ने दी न थी

है सादा आज भी वरक़ ये इंतिसाब के लिए

मिरी नज़र में आ गया है जब से इक सहीफ़ा-रुख़

कशिश रही न दिल में अब किसी किताब के लिए

हमारी महज़र-ए-अमल है ज़ेर-ए-फ़ैसला अभी

खड़े हैं सर झुकाए कब से एहतिसाब के लिए

पुराने पड़ चुके कभी के सब तरीक़ा-ए-सितम

ख़राबी और चाहिए दिल-ए-ख़राब के लिए

समझ रहे हैं सब यहाँ है ज़िंदगी अज़ाब-ए-जाँ

मगर ये भाग-दौड़ है इसी अज़ाब के लिए

तमाम जिस्म ज़ख़्मों से गुलाब-ज़ार हो गया

तो लड़ रहे हैं 'अंजुम' अब ये किस गुलाब के लिए

(756) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ye Raat Dhalte Dhalte Rakh Gai Jawab Ke Liye In Hindi By Famous Poet Anjum Irfani. Ye Raat Dhalte Dhalte Rakh Gai Jawab Ke Liye is written by Anjum Irfani. Complete Poem Ye Raat Dhalte Dhalte Rakh Gai Jawab Ke Liye in Hindi by Anjum Irfani. Download free Ye Raat Dhalte Dhalte Rakh Gai Jawab Ke Liye Poem for Youth in PDF. Ye Raat Dhalte Dhalte Rakh Gai Jawab Ke Liye is a Poem on Inspiration for young students. Share Ye Raat Dhalte Dhalte Rakh Gai Jawab Ke Liye with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.