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हम सब को बताते रहते हैं ये बात पुरानी काम की है - अंजुम बाराबंकवी कविता - Darsaal

हम सब को बताते रहते हैं ये बात पुरानी काम की है

हम सब को बताते रहते हैं ये बात पुरानी काम की है

दस बीस घरों में चर्चे हों तब जा के जवानी काम की है

ये वक़्त अभी थम जाएगा माहौल में दिल रम जाएगा

बस आप यूँही बैठे रहिए ये रात सुहानी काम की है

आसान भी है दुश्वार भी है दुख-सुख का बड़ा बाज़ार भी है

मालूम नहीं तो मुझ से सुनो ये दुनिया दिवानी काम की है

मशहूर भी हैं बदनाम भी हैं ख़ुशियों के नए पैग़ाम भी हैं

कुछ ग़म के बड़े इनआ'म भी हैं पढ़िए तो कहानी काम की है

जो लोग चले हैं रुक रुक कर हमवार ज़मीं पर झुक झुक कर

वो कैसे बताएँगे तुम को दरिया की रवानी काम की है

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