Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_3acf2671da4b8e3950b20ae8cd87923c, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
फ़िराक़-ए-यार में कुछ कहिए समझाया नहीं जाता - अनीस अहमद अनीस कविता - Darsaal

फ़िराक़-ए-यार में कुछ कहिए समझाया नहीं जाता

फ़िराक़-ए-यार में कुछ कहिए समझाया नहीं जाता

दिल-ए-वहशी किसी सूरत से बहलाया नहीं जाता

हमीं ने चुन लिए फूलों के बदले ख़ार दामन में

फ़क़त गुलचीं के सर इल्ज़ाम ठहराया नहीं जाता

सर-ए-बाज़ार रुस्वा हो गए क्या हम न कहते थे

किसी सौदाई के मुँह इस क़दर आया नहीं जाता

गरेबाँ थाम लेंगे ख़ार तो मुश्किल बहुत होगी

गुलाबों की रविश पर इतना इठलाया नहीं जाता

महक जाएगी मेरी ख़ामुशी भी बू-ए-गुल हो कर

निदा-ए-हक़ को क़ैद-ओ-बंद में लाया नहीं जाता

उधर वो अहद-ओ-पैमान-ए-वफ़ा की बात करते हैं

इधर मश्क़-ए-सितम भी तर्क फ़रमाया नहीं जाता

'अनीस' उट्ठो नई फ़िक्रों से राहें ज़ौ-फ़िशाँ कर लो

मआ'ल-ए-लग़्ज़िश-ए-माज़ी पे पछताया नहीं जाता

(922) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Firaq-e-yar Mein Kuchh Kahiye Samjhaya Nahin Jata In Hindi By Famous Poet Anees Ahmad Anees. Firaq-e-yar Mein Kuchh Kahiye Samjhaya Nahin Jata is written by Anees Ahmad Anees. Complete Poem Firaq-e-yar Mein Kuchh Kahiye Samjhaya Nahin Jata in Hindi by Anees Ahmad Anees. Download free Firaq-e-yar Mein Kuchh Kahiye Samjhaya Nahin Jata Poem for Youth in PDF. Firaq-e-yar Mein Kuchh Kahiye Samjhaya Nahin Jata is a Poem on Inspiration for young students. Share Firaq-e-yar Mein Kuchh Kahiye Samjhaya Nahin Jata with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.