आनंद नारायण मुल्ला कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आनंद नारायण मुल्ला
नाम | आनंद नारायण मुल्ला |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Anand Narayan Mulla |
जन्म की तारीख | 1901 |
मौत की तिथि | 1997 |
वो कौन हैं जिन्हें तौबा की मिल गई फ़ुर्सत
वो दुनिया थी जहाँ तुम रोक लेते थे ज़बाँ मेरी
उस इक नज़र के बज़्म में क़िस्से बने हज़ार
तुम जिस को समझते हो कि है हुस्न तुम्हारा
तू ने फेरी लाख नर्मी से नज़र
तिरी जफ़ा को जफ़ा मैं तो कह नहीं सकता
शम्अ' इक मोम के पैकर के सिवा कुछ भी न थी
सर-ए-महशर यही पूछूँगा ख़ुदा से पहले
रोने वाले तुझे रोने का सलीक़ा ही नहीं
निज़ाम-ए-मय-कदा साक़ी बदलने की ज़रूरत है
नज़र जिस की तरफ़ कर के निगाहें फेर लेते हो
न जाने कितनी शमएँ गुल हुईं कितने बुझे तारे
'मुल्ला' बना दिया है इसे भी महाज़-ए-जंग
मुख़्तसर अपनी हदीस-ए-ज़ीस्त ये है इश्क़ में
मुझे कर के चुप कोई कहता है हँस कर
मोहब्बत फ़र्क़ खो देती है आ'ला और अदना का
मैं फ़क़त इंसान हूँ हिन्दू मुसलमाँ कुछ नहीं
ख़ून-ए-जिगर के क़तरे और अश्क बन के टपकें
ख़ुदा जाने दुआ थी या शिकायत लब पे बिस्मिल के
कहने को लफ़्ज़ दो हैं उम्मीद और हसरत
जिस के ख़याल में हूँ गुम उस को भी कुछ ख़याल है
इश्क़ में वो भी एक वक़्त है जब
इश्क़ करता है तो फिर इश्क़ की तौहीन न कर
इश्क़ करता है तो फिर इश्क़ की तौहीन न कर
हुस्न के जल्वे नहीं मुहताज-ए-चश्म-ए-आरज़ू
हम ने भी की थीं कोशिशें हम न तुम्हें भुला सके
हर इक सूरत पे धोका खा रही हैं तेरी सूरत का
हद-ए-तकमील को पहुँची तिरी रानाई-ए-हुस्न
ग़म-ए-हयात शरीक-ए-ग़म-ए-मोहब्बत है
गले लगा के किया नज़्र-ए-शो'ला-ए-आतिश