अम्मार इक़बाल कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अम्मार इक़बाल
नाम | अम्मार इक़बाल |
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अंग्रेज़ी नाम | Ammar Iqbal |
जन्म की तारीख | 1989 |
उस ने नासूर कर लिया होगा
मैं ने तस्वीर फेंक दी है मगर
मैं ने चाहा था ज़ख़्म भर जाएँ
मैं आईनों को देखे जा रहा था
ख़ुद ही जाने लगे थे और ख़ुद ही
कैसे कैसे बना दिए चेहरे
कैसा मुझ को बना दिया 'अम्मार'
एक ही बात मुझ में अच्छी है
एक दरवेश को तिरी ख़ातिर
हेलुसिनेशन
ज़रा सी देर जले जल के राख हो जाए
यूँही बे-बाल-ओ-पर खड़े हुए हैं
तीरगी ताक़ में जड़ी हुई है
तख़य्युल को बरी करने लगा हूँ
रात से जंग कोई खेल नईं
पहले हमारी आँख में बीनाई आई थी
मुझ से बनता हुआ तू तुझ को बनाता हुआ मैं
ख़ुद-परस्ती से इश्क़ हो गया है
जाओ मातम गुज़ारो जाने दो
जहल को आगही बनाते हुए
अक्स कितने उतर गए मुझ में