ज़िंदगी
दुनिया में तुझ को है अगर अरमान-ए-ज़िंदगी
तदबीर से तू बाँध ले पैमान-ए-ज़िंदगी
ताब-ओ-तब-ए-अमल ख़लिश-ए-कोशिश-ए-दवाम
उन से बहम पहुँचता है सामान-ए-ज़िंदगी
कर ले रफ़ू तू जोशिश-ए-किरदार से इसे
क्यूँ कर रहा है चाक गरेबान-ए-ज़िंदगी
जिस ज़िंदगी में जोश-ए-ख़ुदी का न हो ख़याल
वो ज़िंदगी नहीं कभी शायान-ए-ज़िंदगी
कर नूह बन के उस का तो हर-दम मुक़ाबला
तूफ़ान-ए-ज़िंदगी है ये तूफ़ान-ए-ज़िंदगी
महदूद तू समझने लगा है इसे मगर
बे-इंतिहा वसीअ' है मैदान-ए-ज़िंदगी
(816) Peoples Rate This