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उठ - अमजद नजमी कविता - Darsaal

उठ

उठ कि ख़ुर्शीद आसमाँ पर जल्वा-अफ़्शाँ हो गया

उठ कि गोया तेरी बेदारी का सामाँ हो गया

उठ कि पहुँचा चाहते हैं ग़ैर मंज़िल के क़रीब

तू बदलता है अभी तक करवटें ऐ बद-नसीब

उठ कि जिद्द-ओ-जहद से हो तेरी हस्ती कामयाब

ख़्वाब आख़िर ख़्वाब है कब तक रहेगा महव-ए-ख़्वाब

उठ कि दुनिया को तिरे ज़ौक़-ए-तलब से काम है

ज़िंदगी क्या है फ़क़त सई-ए-अमल का नाम है

उठ कि बे-रौनक़ नज़र आता है अब सहन-ए-चमन

बुल्बुल-ओ-तूती पे सब्क़त ले गए ज़ाग़-ओ-ज़ग़न

उठ कि जीना है तो क़ानून-ए-ख़ुदा पर ग़ौर कर

लैसा-लिल-इंसान-इल्ला-मा-सआ पर ग़ौर कर

उठ कि दुनिया तक रही है पै-ब-पै तेरी तरफ़

देख चश्म-ए-ग़ौर से इक बार तू अपनी तरफ़

उठ कि तेरे हाथ में ईक़ान की शमशीर है

तू अगर चाहे तो ये दुनिया तिरा नख़चीर है

उठ कि बे-ज़ौक़-ए-अमल ये तेग़ भी बे-कार है

तो भी तेरी ज़िंदगी भी नक़्श-बर-दीवार है

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UTh In Hindi By Famous Poet Amjad Najmi. UTh is written by Amjad Najmi. Complete Poem UTh in Hindi by Amjad Najmi. Download free UTh Poem for Youth in PDF. UTh is a Poem on Inspiration for young students. Share UTh with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.