Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_7d77baba6801c5f0563ae7c72b5eea9c, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कारवान-ए-हयात - अमजद नजमी कविता - Darsaal

कारवान-ए-हयात

ये कौन कहता है इंसाँ का कारवान-ए-हयात

पलट के आने को है बे-गुनाही की जानिब

वही गुनाह वही मासियत वही बदबू

वही है दर्द वही करवटें वही पहलू

वही फ़साद वही शर ही तमर्रुद है

दिमाग़-ओ-दिल पे मुसल्लत वही तशद्दुद है

ये कौन कहता है इंसाँ का कारवान-ए-हयात

पलट के आने को है बे-गुनाही की जानिब

मैं देखता हूँ कि इंसाँ का कारवान-ए-हयात

उजाला छोड़ चला है सियाही की जानिब

सियाही जैसे समुंदर की थाह में पिन्हाँ

सियाही जैसे ख़म-ए-दूद-ए-आह में पिन्हाँ

सियाही जैसे घटा-टोप रात से ज़ाहिर

सियाही जैसे मुनाफ़िक़ की बात से ज़ाहिर

मैं देखता हूँ कि इंसाँ का कारवान-ए-हयात

उजाला छोड़ चला है सियाही की जानिब

मैं जानता हूँ कि इंसाँ का कारवान-ए-हयात

रवाँ-दवाँ तो है लेकिन तबाही की जानिब

तबाही जिस में जहन्नम का ग़ार पोशीदा

तबाही जिस में है हर फ़र्द ज़हर-नोशीदा

तबाही जिस में है हर घात घात में जुमूत

तबाही जिस में निहाँ मौत का जुमूद-ओ-सुकूत

मैं जानता हूँ कि इंसाँ का कारवान-ए-हयात

रवाँ-दवाँ तो है लेकिन तबाही की जानिब

(917) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Karwan-e-hayat In Hindi By Famous Poet Amjad Najmi. Karwan-e-hayat is written by Amjad Najmi. Complete Poem Karwan-e-hayat in Hindi by Amjad Najmi. Download free Karwan-e-hayat Poem for Youth in PDF. Karwan-e-hayat is a Poem on Inspiration for young students. Share Karwan-e-hayat with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.