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देख कर हम को असीर-ए-आरज़ू - अमजद नजमी कविता - Darsaal

देख कर हम को असीर-ए-आरज़ू

देख कर हम को असीर-ए-आरज़ू

और भी वो हो गए बेगाना-ख़ू

फाड़ डाला दस्त-ए-वहशत ने जिसे

फिर करें क्या इस गरेबाँ का रफ़ू

फिर सजाओ महफ़िल-ए-दार-ओ-रसन

मुज़्तरिब है फिर ज़बान-ए-गुफ़्तुगू

गर ज़ियादा से ज़ियादा हों गुनह

कम नहीं है आयत-ए-ला-तक़नतू

मुझ को डर लगता है अपने शहर में

हैं बहुत ऊँचे यहाँ के काख़-ओ-कू

जब भी रुत आती है पतझड़ की यहाँ

चूस लेती है बहारों का लहू

रह के 'नजमी' ने पस-ए-पर्दा यहाँ

कर दिया है सब को महव-ए-जुस्तुजू

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Dekh Kar Hum Ko Asir-e-arzu In Hindi By Famous Poet Amjad Najmi. Dekh Kar Hum Ko Asir-e-arzu is written by Amjad Najmi. Complete Poem Dekh Kar Hum Ko Asir-e-arzu in Hindi by Amjad Najmi. Download free Dekh Kar Hum Ko Asir-e-arzu Poem for Youth in PDF. Dekh Kar Hum Ko Asir-e-arzu is a Poem on Inspiration for young students. Share Dekh Kar Hum Ko Asir-e-arzu with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.