Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_998a7475a16e857bbf5526629da8f317, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
अपनी हस्ती को यहाँ बे-मुद्दआ समझा था मैं - अमजद नजमी कविता - Darsaal

अपनी हस्ती को यहाँ बे-मुद्दआ समझा था मैं

अपनी हस्ती को यहाँ बे-मुद्दआ समझा था मैं

क्या समझना चाहिए था और क्या समझा था मैं

तुम को अपने दर्द-ए-दिल की गर दवा समझा था मैं

क्या ग़लत समझा था मैं बिल्कुल बजा समझा था मैं

किस ग़लत-फ़हमी में अपनी उम्र सारी कट गई

इक वफ़ा-ना-आश्ना को बा-वफ़ा समझा था मैं

कुछ न पूछो राह-ए-उल्फ़त में मिरी वामांदगी

काकुल-ए-पेचीदा को ज़ंजीर-ए-पा समझा था मैं

उस का हर हर घूँट था ज़हर-ए-हलाहल से सिवा

ज़िंदगी को चश्मा-ए-आब-ए-बक़ा समझा था मैं

सच है 'नजमी' इश्क़ अज़ीं बिसयार करदस्त-ओ-कुनद

सर का देना एक आईन-ए-वफ़ा समझा था मैं

(721) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Apni Hasti Ko Yahan Be-muddaa Samjha Tha Main In Hindi By Famous Poet Amjad Najmi. Apni Hasti Ko Yahan Be-muddaa Samjha Tha Main is written by Amjad Najmi. Complete Poem Apni Hasti Ko Yahan Be-muddaa Samjha Tha Main in Hindi by Amjad Najmi. Download free Apni Hasti Ko Yahan Be-muddaa Samjha Tha Main Poem for Youth in PDF. Apni Hasti Ko Yahan Be-muddaa Samjha Tha Main is a Poem on Inspiration for young students. Share Apni Hasti Ko Yahan Be-muddaa Samjha Tha Main with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.