उस ने आहिस्ता से जब पुकारा मुझे
झुक के तकने लगा हर सितारा मुझे
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कान लगा कर सुनती रातें बातें करते दिन
किसी की आँख में ख़ुद को तलाश करना है
बुज़दिल
साए ढलने चराग़ जलने लगे
हरी-भरी इक शाख़-ए-बदन पर
आँखों से इक ख़्वाब गुज़रने वाला है
बस्तियों में इक सदा-ए-बे-सदा रह जाएगी
समुंदर आसमान और मैं
शिकस्त-ए-अना
चश्म-ए-बे-ख़्वाब को सामान बहुत
पलकों की दहलीज़ पे चमका एक सितारा था
कमाल-ए-हुस्न है हुस्न-ए-कमाल से बाहर