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वो अभी अपने चेहरे में उतरा नहीं - अमजद इस्लाम अमजद कविता - Darsaal

वो अभी अपने चेहरे में उतरा नहीं

किस से पूछूँ वो क्या

शख़्स है जो मिरी

आरज़ू के झरोकों में ठहरे हुए

सारे चेहरों में बिखरा हुआ है मगर

ख़ुद अभी अपने चेहरे में उतरा नहीं

किस से पूछूँ वो क्या

नाम है जो मिरी

धड़कनों के मुक़द्दर में मर्क़ूम है

और वो क्या अजनबी है जो सदियों से मेरे ख़यालों के क़र्ये में आबाद है

मगर मेरा सूरत-शनासा नहीं

किस की आवाज़ है!

जो मिरी रूह में नग़्मा-परवाज़ है

कौन बतलाएगा उस नगर का पता

जिस की मिट्टी की ख़ुश्बू मिरे जिस्म के वास्ते दुर्ज है,

जिस के दीवार-ओ-दर मेरी बे-ख़्वाब आँखों से मानूस हैं

और जिस को कभी मैं ने देखा नहीं

ना-रसाई मिरी ना-रसाई मिरी!

जिस को पाया न था उस को खोने का ग़म

मेरी ख़्वाहिश के सीने का नासूर है

किस को आवाज़ दूँ किस का मातम करूँ

वो अभी अपने चेहरे में उतरा नहीं

किस से पूछूँ मिरा मुद्दआ कौन है!

ना-रसा कौन है!

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Wo Abhi Apne Chehre Mein Utra Nahin In Hindi By Famous Poet Amjad Islam Amjad. Wo Abhi Apne Chehre Mein Utra Nahin is written by Amjad Islam Amjad. Complete Poem Wo Abhi Apne Chehre Mein Utra Nahin in Hindi by Amjad Islam Amjad. Download free Wo Abhi Apne Chehre Mein Utra Nahin Poem for Youth in PDF. Wo Abhi Apne Chehre Mein Utra Nahin is a Poem on Inspiration for young students. Share Wo Abhi Apne Chehre Mein Utra Nahin with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.