एक लड़की
गुलाब चेहरे पे मुस्कुराहट
चमकती आँखों में शोख़ जज़्बे
वो जब भी कॉलेज की सीढ़ियों से
सहेलियों को लिए उतरती
तो ऐसे लगता था जैसे दिल में उतर रही हो
कुछ इस तयक़्क़ुन से बात करती थी जैसे दुनिया
उसी की आँखों से देखती हो
वो अपने रस्ते में दिल बिछाती हुई निगाहों से हँस के कहती
तुम्हारे जैसे बहुत से लड़कों से मैं ये बातें
बहुत से बरसों से सुन रही हूँ
मैं साहिलों की हवा हूँ नीले समुंदरों के लिए बनी हूँ
वो साहिलों की हवा सी लड़की
जो राह चलती तो ऐसे लगता था जैसे दिल में उतर रही हो
वो कल मिली तो उसी तरह थी
चमकती आँखों में शोख़ जज़्बे गुलाब चेहरे पे मुस्कुराहट
कि जैसे चाँदी पिघल रही हो
मगर जो बोली तो उस के लहजे में वो थकन थी
कि जैसे सदियों से दश्त-ए-ज़ुल्मत में चल रही हो
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