Ghazals of Amjad Islam Amjad
नाम | अमजद इस्लाम अमजद |
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अंग्रेज़ी नाम | Amjad Islam Amjad |
जन्म की तारीख | 1944 |
जन्म स्थान | Lahore |
हवा ही लौ को घटाती वही बढ़ाती है
ज़िंदगी दर्द भी दवा भी थी
ज़िंदगानी जावेदानी भी नहीं
ये जो हासिल हमें हर शय की फ़रावानी है
ये गर्द-बाद-ए-तमन्ना में घूमते हुए दिन
ये और बात है तुझ से गिला नहीं करते
याद के सहरा में कुछ तो ज़िंदगी आए नज़र
उस ने आहिस्ता से जब पुकारा मुझे
तुम्हारा हाथ जब मेरे लरज़ते हाथ से छूटा ख़िज़ाँ के आख़िरी दिन थे
तू नहीं तेरा इस्तिआरा नहीं
थे ख़्वाब एक हमारे भी और तुम्हारे भी
तेरा ये लुत्फ़ किसी ज़ख़्म का उन्वान न हो
तश्हीर अपने दर्द की हर सू कराइए
तारा तारा उतर रही है रात समुंदर में
सोच के गुम्बद में उभरी टूटती यादों की गूँज
शाम ढले जब बस्ती वाले लौट के घर को आते हैं
सैंकड़ों ही रहनुमा हैं रास्ता कोई नहीं
साए ढलने चराग़ जलने लगे
सदियाँ जिन में ज़िंदा हों वो सच भी मरने लगते हैं
रात मैं इस कश्मकश में एक पल सोया नहीं
पसपा हुई सिपाह तो परचम भी हम ही थे
पर्दे में लाख फिर भी नुमूदार कौन है
पर्दे में इस बदन के छुपें राज़ किस तरह
पलकों की दहलीज़ पे चमका एक सितारा था
निकल के हल्क़ा-ए-शाम-ओ-सहर से जाएँ कहीं
न आसमाँ से न दुश्मन के ज़ोर ओ ज़र से हुआ
लहू में तैरते फिरते मलाल से कुछ हैं
लहू में रंग लहराने लगे हैं
कितनी सरकश भी हो सर-फिरी ये हवा रखना रौशन दिया
किसी की आँख में ख़ुद को तलाश करना है