ये संग-ए-निशाँ है मंज़िल-ए-वहदत का
ये संग-ए-निशाँ है मंज़िल-ए-वहदत का
पैदा हुआ फिर कोई न उस सूरत का
इंसान जिसे कहते हैं दुनिया वाले
क़द्द-ए-आदम है आईना क़ुदरत का
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ये संग-ए-निशाँ है मंज़िल-ए-वहदत का
पैदा हुआ फिर कोई न उस सूरत का
इंसान जिसे कहते हैं दुनिया वाले
क़द्द-ए-आदम है आईना क़ुदरत का
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