जब जज़्बा इक बार जिगर में आता है

जब जज़्बा इक बार जिगर में आता है

फिर सब अपने आप हुनर में आता है

सब की ज़द में इक मेरा ही घर है क्या

रोज़ नया इक पत्थर घर में आता है

कल मेरे साए में उस की शक्ल दिखी

मंज़र ऐसे पस-मंज़र में आता है

मैं तन्हा आता हूँ महफ़िल में यारों

बाक़ी हर इंसाँ लश्कर में आता है

लहजा उस का यूँ हर ओर मुसल्लत है

वो बंदा हर बार ख़बर में आता है

दहशत उस लम्हे की दिल में इतनी है

अक्सर ही वो लम्हा डर में आता है

'मीत' सभी का साथ यहाँ पर देता है

जो कोई भी बीच सफ़र में आता है

(988) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jab Jazba Ek Bar Jigar Mein Aata Hai In Hindi By Famous Poet Amit Sharma Meet. Jab Jazba Ek Bar Jigar Mein Aata Hai is written by Amit Sharma Meet. Complete Poem Jab Jazba Ek Bar Jigar Mein Aata Hai in Hindi by Amit Sharma Meet. Download free Jab Jazba Ek Bar Jigar Mein Aata Hai Poem for Youth in PDF. Jab Jazba Ek Bar Jigar Mein Aata Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Jab Jazba Ek Bar Jigar Mein Aata Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.