Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_3d29a29f5f730a490d6a5584e30d64be, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ये सन्नाटा है मैं हूँ चाँदनी में - अमित सतपाल तनवर कविता - Darsaal

ये सन्नाटा है मैं हूँ चाँदनी में

ये सन्नाटा है मैं हूँ चाँदनी में

मज़ा भी ख़ूब है आवारगी में

लबों पर मुस्कुराहट गाल गीले

तिरा ग़म घुल गया मेरी ख़ुशी में

ज़रा सी देर को खिड़की जो खोले

फ़रिश्ते घूमेंगे उस की गली में

घड़ी के पैर थकते ही नहीं क्या

घड़ी ईजाद की थी किस घड़ी में

जो मिट्टी के बनाए थे ख़ुदा ने

ये ऐसे लोग है कूज़ा-गरी में

जो बुत-ख़ाने में तुझ को सोच लें तो

भटक जाते हैं रस्ता बंदगी में

मिरी पहली मोहब्बत तुम थी जानाँ

तुम्हें ज़िंदा रखूँगा शाइ'री में

(2500) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ye SannaTa Hai Main Hun Chandni Mein In Hindi By Famous Poet Amit Satpal Tanwar. Ye SannaTa Hai Main Hun Chandni Mein is written by Amit Satpal Tanwar. Complete Poem Ye SannaTa Hai Main Hun Chandni Mein in Hindi by Amit Satpal Tanwar. Download free Ye SannaTa Hai Main Hun Chandni Mein Poem for Youth in PDF. Ye SannaTa Hai Main Hun Chandni Mein is a Poem on Inspiration for young students. Share Ye SannaTa Hai Main Hun Chandni Mein with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.