ज़माने से निराला है उरूस-ए-फ़िक्र का जौबन
ज़माने से निराला है उरूस-ए-फ़िक्र का जौबन
जवाँ होती है ऐ 'तस्लीम' जब ये पीर होती है
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जवाँ होती है ऐ 'तस्लीम' जब ये पीर होती है
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