करो न देर जहाँ में जहाँ से आगे चलो

करो न देर जहाँ में जहाँ से आगे चलो

यहाँ गुमान-ए-ख़तर है क़दम बढ़ाए चलो

यहाँ फ़रेब-ए-नशेब-ओ-फ़राज़ अक्सर है

ख़ुदा के वास्ते इतना न मुँह उठाए चलो

शिकस्ता-पा हूँ कहीं साथ से न रह जाऊँ

मुझे भी हाथ ज़रा दोस्तो लगाए चलो

अभी तो हुस्न-ए-अमल का ज़माना बाक़ी है

वहाँ की बिगड़ी हुई कुछ यहीं बनाए चलो

इधर-उधर कहीं भर कर तरारा जा न पड़े

समंद-ए-उम्र-ए-रवाँ को ज़रा दबाए चलो

अदम में तरसोगे दर्द-ए-जिगर को ऐ 'तस्लीम'

जो हो सके कोई सीने पे तीर खाए चलो

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Karo Na Der Jahan Mein Jahan Se Aage Chalo In Hindi By Famous Poet Amirullah Tasleem. Karo Na Der Jahan Mein Jahan Se Aage Chalo is written by Amirullah Tasleem. Complete Poem Karo Na Der Jahan Mein Jahan Se Aage Chalo in Hindi by Amirullah Tasleem. Download free Karo Na Der Jahan Mein Jahan Se Aage Chalo Poem for Youth in PDF. Karo Na Der Jahan Mein Jahan Se Aage Chalo is a Poem on Inspiration for young students. Share Karo Na Der Jahan Mein Jahan Se Aage Chalo with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.