अमीरुल्लाह तस्लीम कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अमीरुल्लाह तस्लीम
नाम | अमीरुल्लाह तस्लीम |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Amirullah Tasleem |
जन्म की तारीख | 1819 |
मौत की तिथि | 1911 |
जन्म स्थान | Lucknow |
ज़माने से निराला है उरूस-ए-फ़िक्र का जौबन
तड़पती देखता हूँ जब कोई शय
सुब्ह होती है शाम होती है
नासेह ख़ता मुआफ़ सुनें क्या बहार में
क्या ख़बर मुझ को ख़िज़ाँ क्या चीज़ है कैसी बहार
कीजिए ऐसा जहाँ पैदा जहाँ कोई न हो
ख़ाली सही बला से तसल्ली तो दिल को हो
जाने दे सब्र ओ क़रार ओ होश को
हम ने पाला मुद्दतों पहलू में हम कोई नहीं
गर यही है पास-ए-आदाब-ए-सुकूत
फ़िक्र है शौक़-ए-कमर इश्क़-ए-दहाँ पैदा करूँ
दिमाग़ दे जो ख़ुदा गुलशन-ए-मोहब्बत में
दिल-लगी में हसरत-ए-दिल कुछ निकल जाती तो है
दिल धड़कता है शब-ए-ग़म में कहीं ऐसा न हो
दास्तान-ए-शौक़-ए-दिल ऐसी नहीं थी मुख़्तसर
बस कि थी रोने की आदत वस्ल में भी यार से
अहद के बअ'द लिए बोसे दहन के इतने
आस क्या अब तो उमीद-ए-नाउमीदी भी नहीं
वस्ल में बिगड़े बने यार के अक्सर गेसू
वस्ल की शब भी अदा-ए-रस्म-ए-हिरमाँ में रहा
थक गए तुम हसरत-ए-ज़ौक़-ए-शहादत कम नहीं
शमीम-ए-यार न जब तक चमन में छू आए
पारसाई उन की जब याद आएगी
क्यूँ ख़राबात में लाफ़-ए-हमा-दानी वाइ'ज़
करो न देर जहाँ में जहाँ से आगे चलो
कल मिरा था आज वो बुत ग़ैर का होने लगा
कहने सुनने से मिरी उन की अदावत हो गई
ग़ैब से सहरा-नवरदों का मुदावा हो गया
गर यही है आदत-ए-तकरार हँसते बोलते
फ़िक्र है शौक़-ए-कमर इश्क़-ए-दहाँ पैदा करूँ