Ghazals of Amir Usmani
नाम | आमिर उस्मानी |
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अंग्रेज़ी नाम | Amir Usmani |
जन्म की तारीख | 1920 |
मौत की तिथि | 1975 |
जन्म स्थान | Deoband |
थी सियाहियों का मस्कन मिरी ज़िंदगी की वादी
न सकत है ज़ब्त-ए-ग़म की न मजाल-ए-अश्क-बारी
लौटे कुछ इस तरह तिरी जल्वा-सरा से हम
इश्क़ के मराहिल में वो भी वक़्त आता है
हक़ीर ख़ाक के ज़र्रे थे आसमान हुए
ग़म-ए-बेहद में किस को ज़ब्त का मक़्दूर होता है
दिल पे वो वक़्त भी किस दर्जा गिराँ होता है
दर्द बढ़ता गया जितने दरमाँ किए प्यास बढ़ती गई जितने आँसू पिए