आमिर उस्मानी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आमिर उस्मानी (page 1)

आमिर उस्मानी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आमिर उस्मानी (page 1)
नामआमिर उस्मानी
अंग्रेज़ी नामAmir Usmani
जन्म की तारीख1920
मौत की तिथि1975
जन्म स्थानDeoband

ये पुर-फ़रेब सितारे ये बिजलियों के चराग़

उलझे हुए साँसों की घुटन कैसे दिखाऊँ

ताना-ए-इस्याँ देने वालो एक नज़र इस पर भी डालो

सज़ा ये दी है कि आँखों से छीन लीं नींदें

सहरा सहरा ग़म के बगूले बस्ती बस्ती दर्द की आग

रफ़्ता रफ़्ता सब साथी साथ छोड़ आए थे

रात तो काली थी लेकिन रात गुज़र कर सुब्ह जो आई

ओस का नन्हा सा क़तरा हूँ फूलों में तुल जाऊँगा

मैं न कहा करता था साक़ी तिश्ना-लबों की आह न ले

क्यूँ हुए क़त्ल हम पर ये इल्ज़ाम है क़त्ल जिस ने किया है वही मुद्दई

दीवानों को अहल-ए-ख़िरद ने चौराहे पर सूली दी है

अगर मज़ार पे सूरज भी ला के रख दोगे

आप की राह में क्या क्या न सहा था हम ने

ज़ाहिरन तोड़ लिया हम ने बुतों से रिश्ता

ये क़दम क़दम बलाएँ ये सवाद-ए-कू-ए-जानाँ

उस के वादों से इतना तो साबित हुआ उस को थोड़ा सा पास-ए-तअल्लुक़ तो है

सबक़ मिला है ये अपनों का तजरबा कर के

मिरी ज़िंदगी का हासिल तिरे ग़म की पासदारी

कितनी पामाल उमंगों का है मदफ़न मत पूछ

इश्क़ सर-ता-ब-क़दम आतिश-ए-सोज़ाँ है मगर

इश्क़ के मराहिल में वो भी वक़्त आता है

हमें आख़िरत में 'आमिर' वही उम्र काम आई

बाक़ी ही क्या रहा है तुझे माँगने के बाद

अक़्ल थक कर लौट आई जादा-ए-आलाम से

आबलों का शिकवा क्या ठोकरों का ग़म कैसा

सुर्ख़ सितारा

ख़्वाब जो बिखर गए

इल्तिजा

थी सियाहियों का मस्कन मिरी ज़िंदगी की वादी

न सकत है ज़ब्त-ए-ग़म की न मजाल-ए-अश्क-बारी

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