Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_60fe11881113ce10d577ef6b7a4dbc95, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
यूँ तो बिखरे थे मगर कुछ तो कहीं पर कुछ था - आमिर नज़र कविता - Darsaal

यूँ तो बिखरे थे मगर कुछ तो कहीं पर कुछ था

यूँ तो बिखरे थे मगर कुछ तो कहीं पर कुछ था

ज़ीस्त के रक़्स का इल्ज़ाम हमीं पर कुछ था

साँस बे-रब्त हुई आख़िरश आईने में

अक्स का बाब-ए-असर लौह-ए-जबीं पर कुछ था

संग-अंदाज़ निगाहें भी शिकस्ता ठहरीं

ज़ब्त का बार भी तो दोश-ए-मकीं पर कुछ था

अब के शायद ये मिरी तिश्ना-लबी जुम्बिश दे

ताब-ए-हसरत लब-ए-बे-रंग ज़मीं पर कुछ था

रौशनी कासा-ब-दस्त आई है खे़मे की तरफ़

या'नी दरवेश की दीवार-ए-यक़ीं पर कुछ था

सफ़-ब-सफ़ दंग-ए-निगाही थे सरापा गर्दूं

चादर-ए-ख़ाक-नुमा अर्श-ए-बरीं पर कुछ था

जज़्बा-ए-तौक़-ओ-सलासिल है सलामत 'आमिर'

उस का एहसास-ए-हसीं तख़्त-नशीं पर कुछ था

(856) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Yun To Bikhre The Magar Kuchh To Kahin Par Kuchh Tha In Hindi By Famous Poet Amir Nazar. Yun To Bikhre The Magar Kuchh To Kahin Par Kuchh Tha is written by Amir Nazar. Complete Poem Yun To Bikhre The Magar Kuchh To Kahin Par Kuchh Tha in Hindi by Amir Nazar. Download free Yun To Bikhre The Magar Kuchh To Kahin Par Kuchh Tha Poem for Youth in PDF. Yun To Bikhre The Magar Kuchh To Kahin Par Kuchh Tha is a Poem on Inspiration for young students. Share Yun To Bikhre The Magar Kuchh To Kahin Par Kuchh Tha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.