Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_7eae274a3b654a19b10e0d6ab69f9db8, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
चश्म-ए-बे-कैफ़ में कारिंदा-ए-मंज़र न रहा - आमिर नज़र कविता - Darsaal

चश्म-ए-बे-कैफ़ में कारिंदा-ए-मंज़र न रहा

चश्म-ए-बे-कैफ़ में कारिंदा-ए-मंज़र न रहा

तिश्ना-लब ख़्वाब रहा सुर्ख़ समुंदर न रहा

तीरगी रंग-ए-तिलिस्मात को ओढ़े आई

मरहला ये भी दबे ख़ौफ़ के बाहर न रहा

अज्नबिय्यत का तमाशा न हो कैसे उर्यां

दीदा-ए-शिद्दत-ए-एहसास बराबर न रहा

कोई लम्हा तो सुकूत-ए-शब-ए-ग़म ठहरे भी

वादी-ए-सुर्ख़ में अब दर्द का लश्कर न रहा

तिश्नगी ज़ोर-ए-तलब-ताब से बोल उठी है

चंद क़तरे ही सही कोई शनावर न रहा

थी शिकन लम्हा-ए-मौजूद की पेशानी पर

फिर भी मायूस क़द-ए-पा-ए-पयम्बर न रहा

एक भी बूँद की क़ुर्बानी बहुत थी 'आमिर'

कोई आसार-ए-हयात अब्र-ए-उफ़ुक़ पर न रहा

(950) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Chshme-e-be-kaif Mein Karinda-e-manzar Na Raha In Hindi By Famous Poet Amir Nazar. Chshme-e-be-kaif Mein Karinda-e-manzar Na Raha is written by Amir Nazar. Complete Poem Chshme-e-be-kaif Mein Karinda-e-manzar Na Raha in Hindi by Amir Nazar. Download free Chshme-e-be-kaif Mein Karinda-e-manzar Na Raha Poem for Youth in PDF. Chshme-e-be-kaif Mein Karinda-e-manzar Na Raha is a Poem on Inspiration for young students. Share Chshme-e-be-kaif Mein Karinda-e-manzar Na Raha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.