Sad Poetry of Amir Hamza Saqib
नाम | अमीर हम्ज़ा साक़िब |
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अंग्रेज़ी नाम | Amir Hamza Saqib |
जन्म की तारीख | 1971 |
जन्म स्थान | Bhiwandi |
तह कर चुके बिसात-ए-ग़म-ओ-फ़िक्र-ए-रोज़गार
लहू जिगर का हुआ सर्फ़-ए-रंग-ए-दस्त-ए-हिना
तेरी इनायतों का अजब रंग ढंग था
तिरे ख़याल के जब शामियाने लगते हैं
निज़ाम-ए-बस्त-ओ-कुशाद-ए-मानी सँवारते हैं
न तो बे-करानी-ए-दिल रही न तो मद्द-ओ-जज़्र-ए-तलब रहा
ख़ुश-आमदीद कहता गुलों का जहान था
ख़याल-ए-यार का सिक्का उछालने में गया
हैरान बहुत ताबिश-ए-हुस्न-दीगराँ थी
दश्त-ए-बला-ए-शौक़ में ख़ेमे लगाए हैं