तेरी ख़ुशबू तिरा पैकर है मिरे शेरों में
जान यूँही नहीं ये तर्ज़-ए-मिसाली मेरा
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Gulzar
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(754) Peoples Rate This
एक जहान-ए-ला-यानी ग़र्क़ाब हुआ
सबा बनाते हैं ग़ुंचा-दहन बनाते हैं
न तो बे-करानी-ए-दिल रही न तो मद्द-ओ-जज़्र-ए-तलब रहा
तेरी इनायतों का अजब रंग ढंग था
मीरास-ए-बे-बहा भी बचाई न जा सकी
तुम्हारी ज़ात हवाला है सुर्ख़-रूई का
हैरान बहुत ताबिश-ए-हुस्न-दीगराँ थी
मेरी दुनिया इसी दुनिया में कहीं रहती है
बदन के लुक़्मा-ए-तर को हराम कर लिया है
निज़ाम-ए-बस्त-ओ-कुशाद-ए-मानी सँवारते हैं
ख़याल-ए-यार का सिक्का उछालने में गया