Ghazals of Amir Hamza Saqib
नाम | अमीर हम्ज़ा साक़िब |
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अंग्रेज़ी नाम | Amir Hamza Saqib |
जन्म की तारीख | 1971 |
जन्म स्थान | Bhiwandi |
तेरी इनायतों का अजब रंग ढंग था
तिरे ख़याल के जब शामियाने लगते हैं
ताब खो बैठा हर इक जौहर-ए-ख़ाकी मेरा
सबा बनाते हैं ग़ुंचा-दहन बनाते हैं
निज़ाम-ए-बस्त-ओ-कुशाद-ए-मानी सँवारते हैं
न तो बे-करानी-ए-दिल रही न तो मद्द-ओ-जज़्र-ए-तलब रहा
मीरास-ए-बे-बहा भी बचाई न जा सकी
ख़ुश-आमदीद कहता गुलों का जहान था
ख़याल-ए-यार का सिक्का उछालने में गया
हैरान बहुत ताबिश-ए-हुस्न-दीगराँ थी
ग़ज़लों से तज्सीम हुई तकमील हुई
गर्द-बाद-ए-शरार हैं हम लोग
दश्त-ए-बला-ए-शौक़ में ख़ेमे लगाए हैं
बदन के लुक़्मा-ए-तर को हराम कर लिया है