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तस्वीर तेरी यूँ ही रहे काश जेब में - आमिर अमीर कविता - Darsaal

तस्वीर तेरी यूँ ही रहे काश जेब में

तस्वीर तेरी यूँ ही रहे काश जेब में

गोया कि हुस्न-ए-वादी-ए-कैलाश जेब में

रस्ते में मुझ को मिल गया यूँ ही गिरा-पड़ा

मैं ने उठा के रख लिया आकाश जेब में

पंद्रह मिनट से ढूँड रहा है न जाने क्या

डाले हुए है हाथ को क़ल्लाश जेब में

आ जा कि यार पान के खोखे पे जम्अ' हैं

सिगरेट छुपा के हाथ में और ताश जेब

सब टेंट और कुर्सियों वाले कमा गए

शाइ'र ने ठूँस कर भरी शाबाश जेब में

अब उस ग़रीब चोर को भेजोगे जेल क्यूँ

ग़ुर्बत की जिस ने काट ली पादाश जेब में

रखता नहीं हूँ पास में अपनी कभी शनाख़्त

फिरता है कौन ले के कभी लाश जेब में

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