वही चर्चे वही क़िस्से मिली रुस्वाइयाँ हम को
उन्ही क़िस्सों से वो मशहूर हो जाए तो क्या कीजे
Anwar Masood
Gulzar
Habib Jalib
Jaun Eliya
Rahat Indori
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Allama Iqbal
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सुब्ह-ए-रौशन को अंधेरों से भरी शाम न दे
तुझी से गुफ़्तुगू हर दम तिरी ही जुस्तुजू हर दम
कोई तदबीर न तक़दीर से लेना-देना
बन गए दिल के फ़साने क्या क्या
न तो ख़ौफ़ रोज़-ए-जज़ा का हो वही इश्क़ है
ज़िंदगी अपना सफ़र तय तो करेगी लेकिन
शिद्दत-ए-शौक़ से अफ़्साने तो हो जाते हैं
कुछ तो एहसास-ए-मोहब्बत से हुईं नम आँखें
कम्बख़्त दिल ने इश्क़ को वहशत बना दिया
दो किनारों को मिलाया था फ़क़त लहरों ने