Islamic Poetry of Ameer Qazalbash
नाम | अमीर क़ज़लबाश |
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अंग्रेज़ी नाम | Ameer Qazalbash |
जन्म की तारीख | 1943 |
मौत की तिथि | 2003 |
जन्म स्थान | Delhi |
मुझ से बच बच के चली है दुनिया
मिरे घर में तो कोई भी नहीं है
ज़बाँ है मगर बे-ज़बानों में है
यकुम जनवरी है नया साल है
उसे बेचैन कर जाऊँगा मैं भी
नज़र आने से पहले डर रहा हूँ
नक़्श पानी पे बना हो जैसे
मिरे हाल पर मेहरबानी करे
कहीं सलीब कहीं कर्बला नज़र आए
जंग जारी है ख़ानदानों में
जाने ये किस की बनाई हुई तस्वीरें हैं
हर रहगुज़र में काहकशाँ छोड़ जाऊँगा
हर एक हाथ में पत्थर दिखाई देता है
हाँ ये तौफ़ीक़ कभी मुझ को ख़ुदा देता था
चलो कि ख़ुद ही करें रू-नुमाइयाँ अपनी
बसर होना बहुत दुश्वार सा है