मिरे हाल पर मेहरबानी करे
मिरे हाल पर मेहरबानी करे
ख़ुदा से कहो हुक्म-ए-सानी करे
मैं इक बूँद पानी बड़ी चीज़ हूँ
समुंदर मिरी पासबानी करे
पढ़ें लोग तहरीर-ए-दीवार ओ दर
ख़ुलासा मिरी बे-ज़बानी करे
अज़ल से मैं उस के तआक़ुब में हूँ
जो लम्हा मुझे ग़ैर-फ़ानी करे
वो बख़्शे उजाले किसी सुब्ह को
कोई शाम रौशन सुहानी करे
मिरे साए में सब हैं मेरे सिवा
कोई तो मिरी साएबानी करे
कोई है जो बढ़ के उठा ले 'अमीर'
वो तेशा जो पत्थर को पानी करे
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