Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_24190de9d12c2cdd20508d6970f4fd26, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जंग जारी है ख़ानदानों में - अमीर क़ज़लबाश कविता - Darsaal

जंग जारी है ख़ानदानों में

जंग जारी है ख़ानदानों में

ग़ैर महफ़ूज़ हूँ मकानों में

लफ़्ज़ पथरा गए हैं होंटों पर

लोग क्या कह गए हैं कानों में

रात घर में थी सर-फिरी आँधी

सिर्फ़ काँटे हैं फूलदानों में

माबदों की ख़बर नहीं मुझ को

ख़ैरियत है शराब-ख़ानों में

अब सिपर ढूँड कोई अपने लिए

तीर कम रह गए कमानों में

नाख़ुदा क्या ख़ुदा रखे महफ़ूज़

वो हवाएँ हैं बादबानों में

दाल चुनने में हाथ आएँगे

जितने कंकर हैं कार-ख़ानों में

ढूँडता फिर रहा हूँ ख़ाली हाथ

जाने क्या चीज़ उन दुकानों में

(850) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jang Jari Hai KHandanon Mein In Hindi By Famous Poet Ameer Qazalbash. Jang Jari Hai KHandanon Mein is written by Ameer Qazalbash. Complete Poem Jang Jari Hai KHandanon Mein in Hindi by Ameer Qazalbash. Download free Jang Jari Hai KHandanon Mein Poem for Youth in PDF. Jang Jari Hai KHandanon Mein is a Poem on Inspiration for young students. Share Jang Jari Hai KHandanon Mein with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.