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जाने ये किस की बनाई हुई तस्वीरें हैं - अमीर क़ज़लबाश कविता - Darsaal

जाने ये किस की बनाई हुई तस्वीरें हैं

जाने ये किस की बनाई हुई तस्वीरें हैं

ताज सर पर हैं मगर पाँव में ज़ंजीरें हैं

क्या मिरी सोच थी क्या सामने आया मेरे

क्या मिरे ख़्वाब थे क्या ख़्वाब की ताबीरें हैं

कितने सर हैं कि जो गर्दन-ज़दनी हैं अब भी

हम कि बुज़दिल हैं मगर हाथ में शमशीरें हैं

चार जानिब हैं सियह रात के साए लेकिन

उफ़ुक़-ए-दिल पे नई सुब्ह की तनवीरें हैं

उस की आँखों को ख़ुदा यूँ ही सलामत रक्खे

उस की आँखों में मिरे ख़्वाब की ताबीरें हैं

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