Love Poetry of Ameer Minai (page 2)

Love Poetry of Ameer Minai (page 2)
नामअमीर मीनाई
अंग्रेज़ी नामAmeer Minai
जन्म की तारीख1829
मौत की तिथि1900

मैं रो के आह करूँगा जहाँ रहे न रहे

क्या रोके क़ज़ा के वार तावीज़

कुछ ख़ार ही नहीं मिरे दामन के यार हैं

जब से बुलबुल तू ने दो तिनके लिए

जब से बाँधा है तसव्वुर उस रुख़-ए-पुर-नूर का

हँस के फ़रमाते हैं वो देख के हालत मेरी

हम-सर-ए-ज़ुल्फ़ क़द-ए-हूर-ए-शमाइल ठहरा

हैं न ज़िंदों में न मुर्दों में कमर के आशिक़

है ख़मोशी ज़ुल्म-ए-चर्ख़-ए-देव-पैकर का जवाब

गले में हाथ थे शब उस परी से राहें थीं

फ़िराक़-ए-यार ने बेचैन मुझ को रात भर रक्खा

दिल जुदा माल जुदा जान जुदा लेते हैं

चाँद सा चेहरा नूर की चितवन माशा-अल्लाह माशा-अल्लाह

बात करने में तो जाती है मुलाक़ात की रात

अमीर लाख इधर से उधर ज़माना हुआ

ऐ ज़ब्त देख इश्क़ की उन को ख़बर न हो

अच्छे ईसा हो मरीज़ों का ख़याल अच्छा है

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