ये कहूँगा ये कहूँगा ये अभी कहते हो
सामने उन के भी जब हज़रत-ए-दिल याद रहे
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क़िबला-ए-दिल काबा-ए-जाँ और है
अभी आए अभी जाते हो जल्दी क्या है दम ले लो
रोज़-ओ-शब याँ एक सी है रौशनी
मिरा ख़त उस ने पढ़ा पढ़ के नामा-बर से कहा
शब-ए-फ़ुर्क़त का जागा हूँ फ़रिश्तो अब तो सोने दो
गर्द उड़ी आशिक़ की तुर्बत से तो झुँझला कर कहा
वो और वा'दा वस्ल का क़ासिद नहीं नहीं
हुआ जो पैवंद मैं ज़मीं का तो दिल हुआ शाद मुझ हज़ीं का
मिरे बस में या तो या-रब वो सितम-शिआर होता
तीर पर तीर लगाओ तुम्हें डर किस का है
इन शोख़ हसीनों पे जो माइल नहीं होता
यार पहलू में है तन्हाई है कह दो निकले